कौन हैं जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार, पूरे देश में हो रही पद से इस्तीफे की मांग

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में 5 जनवरी को हुई हिंसा के बाद से ही कुलपति एम. जगदीश कुमार लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। जेएनयू के अंदर जिन चार घंटों में हिंसा का दौर जारी था उस वक्त जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी यही सवाल पहले दिन से हर ओर पूछा जा रहा है। जेएनयू समेत पूरे देश में कई जगह लोग जेएनयू को पद से हटाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखने की भी तैयारी है। जेएनयू के कुलपति ने जब से पदभार संभाला है वह विवादों में रहे हैं। जानिए उनके बारे में सबकुछ...


जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार का पूरा नाम मामीडाला जगदीश कुमार है। वह मूलरूप से मामीडाला, नलगोंडा, तेलंगाना के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से अपनी एमएस और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। इंजीनियरिंग के छात्र होने के नाते उनका इससे काफी लगाव रहा है। यही वजह है कि उन्होंने जेएनयू में कुलपति रहते हुए साल 2018 में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की शुरुआत की। हालांकि इसकी फीस को लेकर भी विवाद हुआ था।


एम. जगदीश कुमार का जेएनयू के कुलपति के रूप में जनवरी 2016 में कार्यकाल शुरू हुआ था और फरवरी में यहां वही कार्यक्रम हुआ था जिसके बाद जेएनयू पर ऐसा ठप्पा लगा जो आज तक नहीं छूट सका है। दरअसल फरवरी में यहां अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जो कथित देशद्रोही नारे लगने के कारण पूरे देश में सुर्खियों में आ गया। तब से लगातार जेएनयू और उसके कुलपति चाहे अनचाहे मीडिया की सुर्खियां बनते रहते हैं। 9 फरवरी 2016 के उस कार्यक्रम के लिए आज भी 10 छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा अदालत में विचाराधीन है जिसकी अनुमति दिल्ली सरकार नहीं दे रही है।


2016 से जेएनयू के कुलपति नियुक्त एम जगदीश का एक और साल का कार्यकाल बचा है। जेएनयू में साल 2016 के बाद से लगातार छात्रों और कुलपति में विरोध देखा गया है। 9 फरवरी वाली घटना के बाद विश्वविद्यालय पूरी तरह बदल गया और शिक्षकों व छात्रों ने जेएनयू को बचाने के लिए कई प्रदर्शन किए। इस पर कुलपति ने उनपर जुर्माना लगा दिया जिससे छात्रों और कुलपति के बीच दूरियां और बढ़ गईं।


इस बीच जेएनयू से एक छात्र नजीब अहमद गायब हो गया। आज उस घटना को भी तीन साल हो चुके हैं लेकिन अब भी नजीब का कोई पता नहीं है। इस मुद्दे पर भी छात्रों ने वीसी से नाराजगी जताई थी। बीते साल मार्च में वो समय आया जब वीसी ने छात्रों पर आरोप लगाया कि उनकी पत्नी को उनके घर में ही सैकड़ों छात्रों ने बंधक बना लिया, जिस पर खूब बवाल हुआ। एम जगदीश के ही कार्यकाल में चुने गए छात्रसंघ को जेएनयू के संविधान के अनुसार अधिसूचित नहीं किया गया।


वहीं जब जेएनयू ने शिक्षकों और छात्रों के लिए अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया तब भी कुलपति के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन आदि हुए थे। हालांकि इन सभी मौकों पर वीसी को शांत ही देखा गया। वह बहुत कम मौकों पर सामने आए और छात्रों से संवाद कायम किया।जेएनयू में 2019 में बढ़ाई गई हॉस्टल फीस को लेकर हो रहे प्रदर्शनों में छात्रों की सबसे बड़ी शिकायत ये रही है कि वीसी ने उनसे कभी बात नहीं की। छात्रों का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि उनसे मिलकर गए व अन्य लोग भी उनसे मिलकर गए लेकिन वीसी हैं कि उनसे बात ही नहीं करते। छात्रों की यही मांग थी कि कम से कम एक बार वीसी उनकी समस्या सुनें उनसे बात तो कर लें।




अब जब जेएनयू के इतिहास में पहली बार कैंपस के अंदर घुसकर हॉस्टल आदि में छात्रों व शिक्षकों पर हमला किया गया और प्रशासन ने कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की बल्कि घंटों बाद पुलिस को अंदर आने अनुमति जिसके बाद से पूरे देश में वीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सभी की मांग है कि कुलपति एम जगदीश कुमार अपने पद से इस्तीफा दे दें।