लाेकसभा अाैर विधानसभाअाें में जाति अाधारित अारक्षण बढ़ाने का विरोध

लाेकसभा अाैर विधानसभाअाें में अनुसूचित जाति अाैर जनजति के लिए अारक्षण काे 10 साल अाैर बढ़ाए जाने के संविधान संशाेधन पर समता अांदाेलन समिति ने सवाल उठाए हैं। हाल ही में लाेकसभा में 126वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी मिली है। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में एससी व एसटी समुदायों को आरक्षण दस साल बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

जाेधपुर प्रवास पर आए समता अांदाेलन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने बताया कि जातिवादी राजनीति को बढ़ावा दे रहा यह आरक्षण अनुचित है और समिति अपनी राष्ट्रवादी सोच के अधीन इसका विरोध करती रहेगी। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 334 के तहत यह अारक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था अाैर इसके बाद यह स्वत: ही खत्म हाे जाना थाा। यह बाध्यकारी निर्णय पूरी संविधान सभा की ओर से विस्तृत विचार विमर्श के बाद सर्व सम्मति से लिया गया था। बाद में हर 10 साल बाद इसे अाैर बढ़ाया जाना संविधान सभा के सभी 300 सदस्याें का अपमान है।

समता आंदोलन समिति के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष अाेम बिड़ला से मुलाकात कर 7 सूत्रीय ज्ञापन दिया है। इसमें बताया गया कि वर्ष 2000 अाैर 2009 में किए गए एेसे संशोधनों को निरस्त करवाने के लिए 10 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ी हैं। नोटिस जारी हो चुके हैं और 2003 में पांच न्यायाधीशाें की संविधान पीठ गठित करने के आदेश भी हो चुके हैं। ज्ञापन में यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की ओर से किहाेटाे हाेलाेहाॅन प्रकरण में दिए गए निर्णय की पालना में राजनीतिक दलों को इस बिल पर किसी भी तरह का व्हिप जारी करने से रोका जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि सांसद देशवासियों के प्रतिनिधि मात्र हैं और उन्हें मतदाताओं ने देश चलाने का अधिकार दिया है न कि संविधान से छेड़छाड़ कर कानून बदलने का। ऐसे में सांसद पार्टी की व्हिप के आधार पर संविधान संशोधन कर रहे हैं तो यह गलत है। एेसे सांसदाें काे तुरंत बर्खास्त करने का कानूनी प्रावधान हो या ऐसे मतदाताओं को अधिकार दिया जाना चाहिए कि वे ऐसे सांसदों को वापस बुला सकें। उन्हाेंने बताया कि ज्ञापन में मांग की गई कि सभी राजनैतिक दलों को किसी भी तरह की पार्टी व्हिप जारी करने से रोकें और सभी सांसदों को स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर इस संविधान संशोधन बिल पर अपने मतदाताओं की इच्छा के अनुरूप मतदान में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें।

समता आंदोलन समिति के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा अध्यक्ष अाेम बिड़ला से मुलाकात कर 7 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।